मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सिवनी (Seoni) जिले में अनोखा हाईवे बनाया गया है. इसका निर्माण नेशनल हाईवे-44 पर NHAI ने किया. ये हाईवे इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है. यह हाईवे पेंच टाइगर रिजर्व (Pench Tiger Reserve) के बफर एरिया से गुजरता है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 16 सितंबर को इस हाईवे का वर्चुअल उत्घाटन किया. हवा में झूलता सा नजर आने वाला यह एलिवेटेड हाईवे वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिहाज से बनाया गया है. यह अपने अनोखे मॉडल के लिए विश्व में अलग पहचान बना रहा है.
मामला पेंच टाइगर रिजर्व के बफर एरिया का है. वन्यप्राणियों की सुरक्षा के मद्देनजर मोहगांव से खवासा के बीच NH के 29 किमी हिस्से का निर्माण नहीं हो पा रहा था. 10 साल से ये मामला अटका हुआ था. इसके बाद सरकार ने इस पुरानी सड़क को फोरलेन में बदलने का प्लान बनाया. इस तरह किसी टाइगर रिजर्व के बीच से गुजरने वाले देश के पहले साउंड एवं लाइट प्रूफ नेशनल हाईवे की नींव रखी गई. यह हाईवे साल जंगल से घिरा हुआ है. यह रास्ता पेंच टाइगर रिजर्व और कान्हा टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर को जोड़ता है. यह हाईवे इसी कॉरिडोर को क्रॉस करते हुए बीच से गुजरता है. वन्यप्राणी आवाजाही के लिए इस कॉरिडोर का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए वन विभाग ने तब तक इस सड़क निर्माण की अनुमति नहीं दी, जब तक वह जंगली जानवरों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त नहीं हो गया.
प्रदेश के वन विभाग, एनटीसीए, डब्ल्यूआईआई एवं पेंच टाइगर रिजर्व ने पूरी जांच के बाद वन्यप्राणियों के आने-जाने के लिए एनिमल अंडर पास बनाने का सुझाव एनएचएआई को दिया था. करीब 5 मीटर ऊंचे एनिमल
अंडर पास के ऊपरी हिस्से से वाहन निकल रहे हैं. वन्यक्षेत्र की 21.69 किलोमीटर एलिवेटेड फोरलेन सड़क एवं अंडरपास के दोनों किनारों पर साउंड बैरियर और हेडलाइट रिड्यूजर लगाकर लगभग 4 मीटर स्टील की ऊंची दीवार तैयार की गई है. इस दीवार की वजह से भारी वाहनों की हेडलाइट की तेज रोशनी व शोरगुल जंगल तक नहीं पहुंचते. ट्रैफिक का भी वन्यजीवों पर कोई असर नहीं होता. इसके अलावा किसी भी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए संभावित जगहों पर CCTV लगाए गए हैं .
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