वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के दौरान हिन्दू पक्ष की तरफ से सोमवार को करीब 12 फीट 8 इंच लंबा शिवलिंग नंदी के सामने मिलने का दावा किया गया है. सर्वे का काम अब पूरा हो गया और अब कल यानी 17 मई को कोर्ट के सामने टीम की तरफ से रिपोर्ट रखी जाएगी. इधर, आज जो शिवलिंग मिला है उसे संरक्षित कराने के लिए वकीलों की टीम कोर्ट पहुंची है.
हिन्दू पक्ष ने किया शिवलिंग मिलने का दावा
हिन्दू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि भोले की नगरी में बाबा के दर्शन हर जगह होते हैं. उन्होंने कहा कि एक तालाब है, उसके बीच में जाने का रास्ता नहीं मिल पाया है, इसलिए वहां पर नहीं जा पाए हैं. हिन्दू पक्ष के वकील ने आगे कहा कि हमलोगों ने जो वादा किया था उसमें दावेदारी सफल रही है.
डीएम बोले- पूरी हुई आज की कार्रवाई
इधर, डीएम कौशल राज शर्मा ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के बारे में बताया कि कोर्ट कमिश्नर की कार्यवाही आज खत्म हुई. सवा दस बजे कार्यवाही समाप्त हुई. कोर्ट कमीशन के तीन सदस्यों ने कार्यवाही समाप्त की. उन्होंने बताया कि अदालत में सुनवाई होगी और अलग निर्णय कोर्ट के आदेश पर होगा. कोर्ट के आदेश द्वारा जो ऑर्डर था उसका पालन होगा. रिपोर्ट कोर्ट में 17 मई को पेश होगी. किसी ने अपना निजी बयान दिया है तो इसका कोई प्रमाण नहीं कंरेगे.
डीएम ने बताया कि वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी सर्वे को लेकर अगर किसी ने कोई बात कही है या किसी बात का दावा किया है तो यह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती हैं. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट कमिश्नर द्वारा रिपोर्ट पेश करने के बाद कोई भी बात कोर्ट के द्वारा ही बताया जाएगा. किसी की बात पर कोई ध्यान देने की आवश्यकता नहीं.
मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग के दावे को नकारा
इधर, मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग मिलने के दावे को पूरी तरह से निकाल दिया है. उन्होंने कहा कि इन लोगों के कहने से फैसला नहीं होगा. ऐसा कुछ भी नहीं मिला है. मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज़ अहमद ने कहा कि सर्वे का काम पूरा हो गया है. अब रिपोर्ट पेश की जाएगी. इसके बाद जिसको ऑब्जेशक्शन करना होगा वे अदालत में किया जाएगा.
ज्ञातव्य हो ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पहले भी उठता आया है. सबसे पहले 1936 में वाराणसी ज़िला अदालत में याचिका दायर की गई थी. 1937 में कोर्ट ने विवादित स्थल पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी थी. 1991 में स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ़ मामला दर्ज़ हुआ था जिसमें मंदिर की जगह पर मस्जिद बनी होने का दावा किया गया था.
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