कोरोना महामारी के कारण सैलरीड क्लॉस को 2022-23 के आम बजट में किसी तरह की राहत नहीं मिल पाई. इस बार 2023-24 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से काफी उम्मीदें की जा रही हैं. इसका कारण यह भी है कि चुनाव से पहले यह सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है. ऐसे में उम्मीद है कि वित्त मंत्री महामारी के बाद बढ़ती महंगाई दर को देखते हुए नौकरीपेशा लोगों को कुछ राहत देंगी.
टैक्स एक्सपर्ट ने की सिफारिश
इस बार के बजट के लिए टैक्स एक्सपर्ट ने नौकरीपेशा के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने की सिफारिश की है. जानकारों का कहना है कि फाइनेंस मिनिस्ट्री को नौकरीपेशा वर्ग के लिए टैक्स रिबेट देनी चाहिए. दरअसल, ऑफिस के फिर से खुलने के कारण ट्रांसपोर्ट, किराये आदि में खर्च बढ़ने के कारण राहत देना जरूरी हो गया है. इतना ही नहीं महामारी के समय कुछ कंपनियों ने कर्मचारियों से किराये के घर को खाली करने और होमटाउन वापस जाने के लिए कहा था.
75 हजार रुपये हो जाएगा स्टैंडर्ड डिडक्शन!
अब जब कंपनियां कर्मचारियों को वापस बुला रही हैं. ऑफिस ज्वाइन करने के लिए फिर से दिल्ली- एनसीआर या अन्य शहरों में लौटने से कई चीजों की लागत बढ़ गई है. ऐसे में स्टैंडर्ड डिडक्शन की राशि को अपडेट करने की जरूरत है. इस बार के यूनियन बजट से उम्मीद है कि वित्त मंत्री स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75 हजार रुपये कर सकती हैं. इससे टैक्सपेयर को जरूरत राहत मिलेगी.
क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन
नौकरीपेशा को सभी तरह के खर्च पर टैक्स से राहत देने के लिए वित्त मंत्रालय की तरफ से एक लिमिट तय की गई है. मेडिकल, ट्रांसपोर्ट अलाउंस आदि के खर्च के तौर पर 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को साल 2018-19 में फिर से शुरू किया गया. इससे पहले सैलरीड क्लॉस को आयकर से राहत देने के लिए 19,200 रुपये और 15,000 रुपये का ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल अलाउंस दिया जाता था. यह दोनों मिलाकर 34,200 रुपये की कटौती होती थी.
इसके बाद स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 40,000 रुपये किया गया और बाद में इसे 50,000 रुपये किया गया. इस फ्लैट अमाउंट को टैक्सपेयर की ग्रास सैलरी से कम किया जाता है. इस टैक्स से राहत मिलती है. यह हर नौकरीपेशा के वेतन से काटा जाता है. इसके तहत छूट प्राप्त करने के लिए किसी प्रकार के दावे की जरूरत नहीं होती.
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