किजबलपुर – रांझी तहसीली में अजब खेल चल रहा है, जमीन किसी और स्थान और खसरा की खरीदी जाती है और नामांतरण किसी और स्थान और खसरे में किया जा रहा है. आमना बी ने ०९/०५/१९७३ को खसरा क्रमांक ९०, ९२, ९३, ९४/१९ में प्लाट क्रमांक १० रकबा ७३३ वर्ग फुट जमीन का क्रय किया जो मूल में सेठ नरसिंह दास की जमीन थी तथा उन्होंने २१/०२/१९५० को शारदा प्रसाद को बेचीं थी. मूल रजिस्ट्री में भी खसरा क्रमांक ९०, ९२, ९३, ९४/१९ ही लिखा हुआ है. जब विगत दिवस आमना बी के वारिसों ने जमीन नामांतरण के लिए आवेदन लगाया तो तहसीलदार महोदय ने रा.प्र.क्र./०७२०/अ-६/२०२०-२१ में खसरा नंबर ९०, ९२, ९३, ९४/१९ की जगह नामांतरण खसरा नंबर ९४/२१ में करने आ आदेश पारित कर दिया, इसका कोई जवाब नहीं है की खसरा क्रमांक कैसे बदला जा सकता है. खसरा क्रमांक ९४/२१ आज भी सेठ नरसिंह दास के नाम पर है और जो जमीन बेचीं है वे अलग खसरे की है तो ये नामांतरण अपने आप सवाल के घेरे में खड़े हो जाता है. पूर्व निर्धारित दस्तावेजों को अनदेखा करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जो नामांतरण किया गया है जो पूर्णतः अवैधानिक है.
रांझी निवासी पुराने लोगों का कहना है की सेठ नरसिंह दास की ग्राम रांझी की १६ आने की मालगुज़ारी थी, उन्होंने कुछ जमीन अपनी बेटी श्रीमती इंदिरा बाई को दी थी तथा कुछ खसरे उनके ही पास थे जिसमें से उन्होंने केवल खसरा क्रमांक ९०, ९२, ९३, ९४/१९ के एक हिस्से में प्लाट काटे थे तथा खसरा क्रमांक ९४/२१ में प्लाट काटने की तैयारी की थी पर उन्हें उन्होंने अपने पुत्र सेठ मुकुंद दास को बेच दिए थे तथा उन्हें कभी भी जनता को नहीं बेचे गए. सेठ नरसिंह दास ने अपनी बाकी बची सम्पत्ति अपने दोनों पुत्रों मुकुंद दास और राजेश कुमार को और उनके संतानों को दी थी. किसी भी नामांतरण के पूर्व सभी वारासानों की सहमती जरूरी है जो नहीं ली जा रही है और बिना सहमती के नामांतरण करें जा रहे है.
लोगों का कहना है की पुराने रजिस्ट्री पर दूसरी जमीनों का नामांतरण किया जा रहा है जिस कारण से न केवल जमीन मालिक को धोखा दिया जा रहा है पर सरकार को भी कर का करोड़ों का नुकसान हो रहा है. इस प्रकार के कई नामांतरण हो चुके है जिनकी तुरंत जांच की जानी चाहिए और अवैधानिक नामांतरण करने में लिप्त अधिकारियों पर तुरंत कार्यवाही की जानी चाहिए.